प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को बांग्लादेश में शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, ‘‘एक अत्याचारी शासन, लोकतांत्रिक मूल्यों को न मानने वाली व्यवस्था ने किस तरह बांग्लादेश पर अत्याचार किया, यह सारी दुनिया जानती है। बांग्लादेश और भारत की मित्रता के कारण हम दशकों पुराने सीमा-विवाद को शांति से सुलझाने में सफल रहे हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘पिछले पांच-छह वर्षों में भारत-बांग्लादेश के संबंधों का सुनहरा अध्याय बना है। शेख मुजीबुर्रहमान ने बांग्लादेश को तबाही से बाहर निकाला। सकारात्मक-विकसित समाज बनाने के लिए उन्होंने अपना पल-पल समर्पित कर दिया।’’ दरअसल, मोदी पहले बांग्लादेश जाकर इस समारोह में शामिल होने वाले थे मगर कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते उनकी यात्रा रद्द की गई।
शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी पर बड़े आयोजनों की तैयारी थी
17 मार्च को ढाका के नेशनल परेड ग्राउंड में मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी के मौके पर बड़े आयोजनों की तैयारी थी। यहां से सालभर चलने वाले समारोहों की शुरुआत होनी थी। प्रधानमंत्री मोदी समेत कई विदेशी मेहमान आने थे, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के चलते सभी कार्यक्रम टाल दिए गए। बांग्लादेश में सभी स्कूल, कॉलेज मार्च के अंत तक बंद कर दिए गए हैं। साथ ही यूरोप समेत कई देशों के यात्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
मुजीबुर्रहमान ने बांग्लादेश की आजादी में मुख्य भूमिका निभाई
शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे। वह 17 अप्रैल 1971 से लेकर 15 अगस्त 1975 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। इसी दिन उनकी हत्या हुई थी। वह बांग्लादेश की आजादी में मुख्य भूमिका निभाने वाली ‘बंगबंधु’ सेना के प्रमुख थे। उनकी बेटी शेख हसीना अभी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं।